Wednesday 29 May 2024

थार के रेगिस्तान की जैव विविधता संकट में

 # सोने को पिघलाने वाला रेगिस्तान का पौधा विलुप्त होने के कगार पर


## थार के रेगिस्तान की जैव विविधता संकट में



राजस्थान के थार रेगिस्तान में जैव विविधता गंभीर खतरे में है। यहां कई अनूठे पौधे और जीव विलुप्त हो रहे हैं, जो इस क्षेत्र की पहचान थे। बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से एक महत्वपूर्ण पौधा अकेशिया जेकमोंटाई (भू भवल्या) अब अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।
### अकेशिया जेकमोंटाई: सोने को पिघलाने वाला पौधा
अकेशिया जेकमोंटाई की विशेषता है कि यह जलने पर 99% तक जल जाता है और बिल्कुल भी धुआं नहीं करता। इसी कारण से सुनार इसे सोना पिघलाने के लिए उपयोग में लेते थे। यह पौधा विशेष रूप से धोरे के टॉप पर पाया जाता था, लेकिन अब यह विलुप्ति की कगार पर है और सुनार भी इसे भूल चुके हैं।
### अन्य विलुप्तप्राय पौधे
थार के अन्य महत्वपूर्ण पौधे भी विलुप्ति की ओर बढ़ रहे हैं। टेफरोसिया फेल्सीपेरम, जिसे रतिबियानी भी कहा जाता है, एक लाल रंग की झाड़ी है जो धोरों के शिखर पर मिलती थी। यह भी अब विलुप्त होने के कगार पर है। फारेसटिया मेकेरंथा, जो बाड़मेर के चट्टानी क्षेत्र में पाई जाती थी, करीब 100 साल पहले रिपोर्ट की गई थी और अब तक वापस नहीं खोजी जा सकी है।
### सरगोड़ा और गूगल की स्थिति
औषधीय पौधा गूगल, जो पशुओं की चराई के कारण खतरे में है, अब केवल ओरणों में बचा है। सरगोड़ा (मोरिंगा कॉनकेनसिंस), जिसमें 38% क्रूड ऑयल होता है, और सेवण घास भी बहुत कम बची है। खोजड़ी और रोहिड़ा भी कम हो गए हैं। रोहिड़ा की कटाई पर प्रतिबंध होने के कारण किसान इसे अब लगाते तक नहीं हैं।
### इंदिरा गांधी नहर के प्रभाव
इंदिरा गांधी नहर के आगमन से थार की जैव विविधता में बदलाव आया है। नहर के साथ हिमालयी क्षेत्र की कई मछलियां अब थार में मिलने लगी हैं। मछली की महाशेर और गारा जैसी प्रजातियां आसानी से मिल जाती हैं, जबकि गोडावण सहित कई पशु रेड डाटा बुक की सूची में हैं।
### थार की जैव विविधता के आँकड़े
- थार मरुस्थल 3.85 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है।
- यह विश्व का 9वां सबसे बड़ा मरुस्थल है।
- यहां 683 पादप (फ्लोरा) की प्रजातियां और 1195 जंतु (फोना) की प्रजातियां पाई जाती हैं।
- 492 तरह के पक्षी हैं।
- 60 प्रतिशत पौधे हरबेशियस यानी तना रहित हैं, जबकि 16 प्रतिशत झाड़ी और 14 प्रतिशत पेड़ हैं।
### विशेषज्ञों की राय
खेजड़ी के पूर्व वैज्ञानिक जेपी सिंह के अनुसार, इंदिरा गांधी नहर के आगमन के बाद पश्चिमी राजस्थान की जैव विविधता में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। पहले थार में ठोर, गूगल, सेवण घास आदि दिखाई देते थे, लेकिन अब ये धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की प्रभारी इंदु शर्मा ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि पश्चिमी राजस्थान में क्लाइमेट के साथ छेड़छाड़ हो रही है, जो एक अच्छा संकेत नहीं है। लोगों के ज्यादा प्लांटेशन करने और क्लाइमेट में बदलाव के कारण यहां की जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

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